The Ultimate Guide To Shodashi

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Oh Lord, the master of universe. You would be the eternal. You will be the lord of all of the animals and all the realms, you might be The bottom of your universe and worshipped by all, with out you I'm no-one.

कर्तुं श्रीललिताङ्ग-रक्षण-विधिं लावण्य-पूर्णां तनूं

आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।

She is venerated by all gods, goddesses, and saints. In some places, she is depicted donning a tiger’s skin, which has a serpent wrapped about her neck and also a trident in one of her arms though one other retains a drum.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

Goddess Shodashi has a third eye to the forehead. She is clad in pink costume and richly bejeweled. She sits with a lotus seat laid on the golden throne. She's shown with four arms in which she retains five arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane as a bow.

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

She is also referred to as Tripura mainly because all her hymns and mantras have 3 clusters of letters. Bhagwan Shiv is thought to generally be her consort.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् read more ॥७॥

यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं

The Mahavidyas are a group of ten goddesses that depict different areas of the divine feminine in Hinduism.

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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