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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं
काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।
Saadi mantras tend to be more accessible, useful for normal worship also to invoke the existence on the deity in daily life.
साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।
The Saptamatrika worship is particularly emphasized for the people trying to find powers of Management and rule, in addition to for all those aspiring to spiritual liberation.
यस्याः विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।
यदक्षरमहासूत्रप्रोतमेतज्जगत्त्रयम् ।
During the pursuit of spiritual enlightenment, the journey starts with the awakening of spiritual consciousness. This First awakening is critical for here aspirants who are in the onset in their route, guiding them to acknowledge the divine consciousness that permeates all beings.
नाना-मन्त्र-रहस्य-विद्भिरखिलैरन्वासितं योगिभिः
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।